Baran News :- कवाई में बिजली बनाम बीमारी की जंग: अडानी पावर प्लांट विस्तार पर गरमाई बहस, 7 जुलाई को फैसला
कवाई (बारां)। क्या विकास की चमक से ग्रामीण अंधेरे में डूब जाएंगे? क्या बिजली की रौशनी के बदले लोग अपने स्वास्थ्य और जल-संसाधनों की कीमत चुकाएँगे? कवाई कस्बे में अडानी पावर लिमिटेड के थर्मल पावर प्लांट विस्तार को लेकर यही सवाल इन दिनों गांव-गांव में गूंज रहे हैं।
1320 मेगावाट की मौजूदा इकाई को अब 3200 मेगावाट (4×800) की अल्ट्रा सुपर क्रिटिकल यूनिट में बदले जाने का प्रस्ताव सामने आया है। इसके लिए 7 जुलाई, सोमवार को सुबह 11 बजे ग्राम निमोदा में लोक सुनवाई आयोजित की गई है, जहाँ राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल की उपस्थिति में ग्रामीण खुलकर अपनी बात रख सकेंगे।
लेकिन मामला अब सिर्फ एक तकनीकी बदलाव का नहीं, बल्कि जनजीवन, पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ी गहरी चिंता का बन गया है।
विकास बनाम विनाश: दो ध्रुवों पर बंटा जनमत
जहाँ एक ओर कुछ लोग इस प्रस्ताव को रोज़गार, आधारभूत विकास और आर्थिक प्रगति का जरिया मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में ग्रामीण प्रदूषण, जल संकट और गंभीर बीमारियों की आशंका से डरे हुए हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि पहले भी पावर प्लांट लगाते समय विकास और नौकरी के वादे किए गए थे, लेकिन हकीकत यह रही कि आज भी सड़कों, शिक्षा, अस्पताल और शुद्ध पानी की हालत बदतर बनी हुई है।
“बिजली मिली, लेकिन साँसें गईं” – स्वास्थ्य पर मंडराता संकट
इलाके में टीबी, दमा, फेफड़ों और त्वचा रोगों के मामले तेजी से बढ़े हैं। कुछ बीमारियाँ तो ऐसी हैं, जिनके नाम भी लोगों ने पहले कभी नहीं सुने थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि धूल, धुआं और रासायनिक उत्सर्जन ने जीवन को दूभर बना दिया है।
जल संकट की नई दास्तान
एक और बड़ी चिंता जल स्रोतों पर बढ़ता दबाव है। प्लांट में पानी की भारी खपत से गांवों में हैंडपंप सूखने लगे हैं, खेती प्रभावित हो रही है और पीने के पानी की किल्लत बढ़ रही है।
अब सबकी निगाहें 7 जुलाई की सुनवाई पर
क्या जनता एक बार फिर आश्वासनों की चकाचौंध में उम्मीद लगाए बैठेगी या इस बार जनहित और पर्यावरण की लड़ाई को प्राथमिकता देगी?
- ग्राम निमोदा की लोक सुनवाई अब सिर्फ एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि सैकड़ों ग्रामीणों की आवाज, स्वास्थ्य और भविष्य की कसौटी बन चुकी है।