भगवानपुरा की टूटी पुलिया बनी ग्रामीणों की जान पर आफत, प्रशासन की अनदेखी से भड़का आक्रोश
गांव की जीवनरेखा कहलाने वाली पुलिया दो साल से क्षतिग्रस्त, बारिश में और बिगड़ती है हालात
छीपाबड़ौद (अजनावर ग्राम पंचायत):
भगवानपुरा गांव की वह पुलिया जो कभी ग्रामीणों के आवागमन का मुख्य जरिया हुआ करती थी, अब बीते दो वर्षों से जर्जर हालत में पड़ी है। ग्राम पंचायत अजनावर के अंतर्गत आने वाले इस गांव के लोग हर दिन जान जोखिम में डालकर इस रास्ते से गुजरने को मजबूर हैं।
बरसात में डर का माहौल
बारिश के दिनों में यह समस्या और भी विकराल रूप ले लेती है। ग्रामीणों के अनुसार, पहले इसी पुलिया से गुजरते वक्त एक व्यक्ति की पानी में बहने से मौत हो चुकी है, वहीं कई मवेशी भी इस टूटे रास्ते की भेंट चढ़ चुके हैं। इसके बावजूद आज तक इस ओर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
स्कूल और खेत दोनों प्रभावित
इस पुलिया के दूसरी ओर गांव का राजकीय प्राथमिक विद्यालय स्थित है। बारिश के मौसम में स्कूली बच्चों का स्कूल पहुंचना नामुमकिन हो जाता है। यही रास्ता किसानों की खेतों तक भी जाता है, जिससे फसलों तक पहुंच बाधित हो जाती है और ग्रामीणों की आजीविका पर भी असर पड़ता है।
किसान महासंघ ने दी चेतावनी
ग्रामीणों की नाराजगी अब धीरे-धीरे आंदोलन का रूप लेती दिख रही है। किसान महासंघ के जिला अध्यक्ष प्रेम सिंह मीणा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि शीघ्र पुलिया का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया, तो उग्र धरना प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह केवल एक पुलिया नहीं, ग्रामीणों की जीवन रेखा है। इसे नज़रअंदाज़ करना अमानवीय है।”
पहले भी किया था चुनाव बहिष्कार
गौरतलब है कि इससे पहले भी भगवानपुरा के ग्रामीण लोकसभा चुनाव का बहिष्कार कर चुके हैं। लेकिन तब भी प्रशासन की ओर से सिर्फ आश्वासन मिला, कार्य नहीं।
अब ग्रामीणों ने दो टूक कह दिया है — अगर समाधान नहीं मिला, तो इस बार आंदोलन और बड़ा होगा।
निष्कर्ष:
एक टूटी पुलिया ने गांव के बच्चों की शिक्षा, किसानों की फसल और लोगों की जान सभी को प्रभावित किया है। अब जरूरत है कि प्रशासन इस मुद्दे को प्राथमिकता से ले और समय रहते समाधान करे, वरना यह आक्रोश जन आंदोलन में बदल सकता है।
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