तालाब की जर्जर पाल बनी खतरा, रॉई ग्राम पंचायत के कई गांव खतरे में
ग्रामीणों ने प्रशासन से की तत्काल मरम्मत की मांग
छीपाबड़ौद की रॉई ग्राम पंचायत में फैला करीब 80 से 90 बीघा क्षेत्र का विशाल तालाब इन दिनों गंभीर खतरे की स्थिति में है। तालाब की भराव क्षमता मिलियन लीटर में आंकी गई है, लेकिन 30-40 साल पुरानी पाल अब पूरी तरह जर्जर हो चुकी है।
पूर्व उपसरपंच भरतराज मीणा ने बताया कि तालाब के नीचे करीब 8 से 10 गांव बसे हैं, जिनकी सुरक्षा पर बरसात में संकट मंडराने लगता है। अगर भारी बारिश में तालाब ओवरफ्लो हुआ और पाल टूट गई, तो भारी जन-धन हानि की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
तालाब में मत्स्य पालन का ठेका होने के कारण निकासी द्वारों पर ठेकेदार द्वारा जालियां लगा दी जाती हैं, जिससे पानी का प्राकृतिक बहाव रुक जाता है, और तालाब पर दबाव और बढ़ जाता है। यह स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है।
इस गंभीर खतरे को देखते हुए पंचायत समिति सदस्य राम कल्याण मेहरा, भाजपा प्रतिनिधि मुरारीलाल सुमन, राजू सुमन, बद्रीलाल राठौड़, राजू सेन, बनवारीलाल मीणा, रमेश मीणा, ललित तिवारी, नवलकुमार मीणा, गिर्राज मीणा सहित दर्जनों ग्रामीणों ने मिलकर प्रशासन से मांग की है कि तालाब की पाल की तुरंत मरम्मत और मजबूत पेचिंग का कार्य शुरू किया जाए, ताकि कोई बड़ा हादसा होने से पहले स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके।
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